किसी मशहूर शायर ने कहा
“मैं भी मुंह में जबान रखता हूँ
कोई पूछे की माजरा क्या है.”
Methinks’
सब हैं अपनी सुनाने को बेताब यहाँ
किससे पूछे कोई कि माजरा है क्या
अपने गम से ही सब है मारे हुए
तेरे गम की खबर रखे कोई क्या
रोजी रोटी की खातिर बस गए सब यहाँ और वहां
किसी को किसी का आसरा है क्या
भूले बिसरे जो याद करले कोई
उसीका शुक्रिया कर शिकवा करना क्या